1. सांस्कृतिक पहचान और विरासत का संरक्षण:
विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति और परंपराओं सेजोड़ना।
2. रचनात्मकता और प्रतिभा को प्रोत्साहन:
विद्यार्थियों को अपनी कला, संगीत,नृत्य,नाटक और अन्य रचनात्मक कौशल दिखाने का अवसर देना।
3. सामाजिक समरसता का विकास:
विभिन्न भाषाओं, परंपराओं और संस्कृतियों के प्रति सम्मान और सद्भावना विकसित करना।
4. व्यक्तित्व विकास:
नेतृत्व, आत्मविश्वास और टीम वर्क जैसी क्षमताओं को मजबूत करना।
5. मनोरंजन और तनाव मुक्ति:
पढ़ाई के दबाव से राहत देने और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करना।